हिन्दू पंचांग में राहुकाल का क्या अर्थ है? (What Is RahuKaal?)

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हिन्दू पंचांग में राहुकाल का क्या अर्थ है? (What Is RahuKaal?)

हिन्दू पंचांग एक हिन्दू कैलेंडर है जिसका उपयोग समय की सटीक जानकारी के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। समय की जानकारी के साथ साथ पंचांग से आज की तिथि, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, नक्षत्र, योग, वार और कारण आदि का पता भी लगाया जाता है।

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इस लेख में हम जानेंगे कि हिन्दू पंचांग में राहुकाल का क्या अर्थ है? तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

राहुकाल का ज्योतिष शास्त्र में महत्त्व

हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र की मानें तो राहु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। राहु के प्रभाव में जो समय आता है उस समयावधि को राहुकाल कहा जाता है। इस समयावधि में कोई भी कार्य आरम्भ करना शुभ नहीं माना जाता।

ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि अगर कोई इस समयावधि में पूजा, यज्ञ या हवन करता है उसे मनोवांछित परिणाम नहीं मिलते। साथ ही अगर राहु ग्रह से जुड़ा कोई भी कार्य इस समयावधि में किया जाए तो उसके अनुकूल परिणाम मिलते हैं। राहु से जुड़े कार्यों का अर्थ राहु ग्रह के पूजन, यज्ञ या हवन आदि से है।

किसी नए कार्य को आरम्भ करते समय ही राहुकाल का ध्यान दिया जाता है। इसका अर्थ यह है कि पहले से ही चले हुए कार्यों को राहुकाल में जारी रखा जा सकता है।

राहुकाल का समय कब होता है?

राहुकाल हर एक दिन की एक निश्चित समयावधि में होता है। अगर हम सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की कुल समयावधि को आठ काल खण्डों में विभाजित करते हैं तो प्रत्येक काल खंड लगभग डेढ़ घंटे (1 घंटा 30 मिनट) के करीब का होता है। इस डेढ़ घंटे की समयावधि को राहुकाल कहा जाता है।

राहुकाल प्रत्येक दिन में आठ कालखंडो में से एक हो सकता है। यह प्रत्येक दिन में अलग अलग काल खंड में होता है। जैसे हम जानते हैं कि किन्ही दो जगहों का सूर्योदय और सूर्यास्त का समय समान नहीं हो सकता उसी प्रकार राहुकाल का समय भी किन्ही दो जगहों के लिए एक समान नहीं हो सकता।

ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि सूर्योदय के बाद जो प्रथम काल खंड (आठ काल खंडों में से प्रथम) होता है उसे राहुकाल से मुक्त माना जाता है। यह काल खंड हमेशा शुभ माना जाता है।

अगर हम प्रत्येक दिन (वार) की बात करें तो दिन में राहुकाल किसी काल खंड में इस प्रकार होता है:

  • सोमवार – राहुकाल दूसरे काल खण्ड में
  • शनिवार – राहुकाल तीसरे काल खण्ड में
  • शुक्रवार – राहुकाल चौथे काल खण्ड में
  • बुधवार – राहुकाल पाँचवें काल खण्ड में
  • गुरुवार – राहुकाल छठे काल खण्ड में
  • मंगलवार – राहुकाल सातवें काल खण्ड में
  • रविवार – राहुकाल आठवें काल खण्ड में

निष्कर्ष

तो इस लेख में हमने जाना कि हिन्दू पंचांग में राहुकाल का क्या अर्थ है और इसका हिन्दू धर्म में क्या महत्त्व है? मैं आशा करता हूँ आपके ज्ञान में इस लेख से वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी साँझा करें।

स्वस्थ रहें, खुश रहें…

जय श्री कृष्ण!

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Original link: One Hindu Dharma

CC BY-NC-ND 2.0 授权

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