हिन्दू पंचांग में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष क्या होता है? (What Is Shukla Paksha And Krishna Paksha In Hindu Panchang?)
हिन्दू पंचांग में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष क्या होता है? (What Is Shukla Paksha And Krishna Paksha In Hindu Panchang?)
चन्द्रमा एक तिथि में 12 अंश (12 डिग्री) का चक्कर लगाता है। इसी तरह 30 दिनों में चन्द्रमा पूरी पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है। हिन्दू पंचांग में कुल मिला कर 30 तिथियां होती हैं जिन्हे दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। यह दो पक्ष शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष हैं।
इन तिथियों के नामों के बारे में अगर आप और ज़्यादा जानकारी चाहते हैं तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। इस लेख में हिन्दू पंचांग के बारे में विस्तार से बताया गया है।
👉 हिन्दू पंचांग क्या है? (What Is Hindu Panchang?)
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तो आइए जानते हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष क्या होते हैं और हिन्दू धर्म में इनका क्या महत्त्व है? लेकिन शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को जानने से पहले हम “पक्ष” के बारे में जान लेते हैं।
हिन्दू पंचांग में “पक्ष” क्या होता है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक चंद्र माह को दो पक्षों में विभाजित किया गया है। एक पक्ष की अवधि लगभग 14 दिनों की रहती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक माह में चन्द्रमा की दो स्थितियां रहती हैं। प्रत्येक स्थिति 15 दिन के करीब की होती है। 15-15 दिन की इन दो स्थितियों को दो पक्ष कहते हैं। यह दो पक्ष इस प्रकार हैं:
- शुक्ल पक्ष
- कृष्ण पक्ष
शुक्ल पक्ष क्या होता है?
शुक्ल पक्ष अमावस्या के दिन से शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन तक रहता है। इसका नाम चन्द्रमा के श्वेत रंग के कारण पड़ा है क्यूंकि इस अवधि में चन्द्रमा का रंग कृष्ण पक्ष के चन्द्रमा से ज़्यादा श्वेत रहता है।
शुक्ल पक्ष के अंतर्गत जितनी भी तिथियां आती हैं उन तिथियों को शुक्ल पक्ष तिथियां कहते हैं। आमतौर पर शुक्ल पक्ष की तिथियां किसी कार्य का आरम्भ करने के लिए शुभ मानी जाती हैं।
कृष्ण पक्ष क्या होता है?
कृष्ण पक्ष पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है और अमावस्या के दिन पर जाकर ख़त्म होता है। इस पक्ष में चन्द्रमा का रंग फीका पड़ने लगता है। कृष्ण पक्ष का नाम भगवान श्री कृष्ण के काले रंग से भी लिया गया है।
भगवान श्री कृष्ण भी श्याम रंग के थे और इस पक्ष में चन्द्रमा का रंग भी ढलता है जिस कारण इस पक्ष को कृष्ण पक्ष का नाम दिया गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष में जितनी भी तिथियां आती हैं उन्हें कृष्ण पक्ष तिथियों के नाम से जाना जाता है।
तो अगर हम शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की आसान भाषा में बात करें तो हिन्दू पंचांग के पूर्णिमा से अमावस्या के दिन तक के समय को कृष्ण पक्ष और अमावस्या से पूर्णिमा के दिन तक के समय को शुक्ल पक्ष कहते हैं।
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का हिन्दू धर्म में महत्त्व
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कोई भी कार्य शुक्ल पक्ष में करना ज़्यादा शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो शुक्ल पक्ष की दशमी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तक के समय में चन्द्रमा की ऊर्जा अपने चरम पर होती है।
इसलिए इस समय को किसी कार्य को आरम्भ करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना जाता है। इस प्रकार ज्योतिष शास्त्री हिन्दू पंचांग के द्वारा शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की गणना करके शुभ और अशुभ समय को तय करते हैं।
निष्कर्ष
तो इस लेख से हमने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के बारे में और इन दोनों के महत्व के बारे में जाना। मैं आशा करता हूँ कि आपके ज्ञान में इस लेख से वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ ज़रूर साँझा करें।
खुश रहिये, स्वस्थ रहिय…
जय श्री कृष्ण!
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