मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। मौनी अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और भगवन विष्णु की पूजा का विधान है।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) को माघी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को दान करने की आस्था है। इस दिन दान में भोजन, सोना या अन्य ज़रूरी सामान दिया जाता है।
मौनी अमावस्या को “महाव्रत” भी कहा जाता है। तो इस लेख में आगे जानेंगे कि क्यों मौनी अमावस्या को महाव्रत कहा जाता है और साथ ही जानेंगे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में।
मौनी अमावस्या क्या है? (What Is Mauni Amavasya?)
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण दिवस माना गया है। मौनी “मुनि” शब्द से आया है। मुनि वह है जो मौन रहे। मौन का अभिप्राय मुख से ही मौन रहने का नहीं है बल्कि जो मन से भी मौन रहे वही एक महान मुनि है।
इस दिन मौन रहना ही “महाव्रत” है। इसलिए इस दिन को “महाव्रत” भी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु मौन रह कर गंगा या जमुना में स्नान करते हैं। हिन्दू धर्म में इस माह को भी कार्तिक माह के समान पुण्य माह होने का दर्जा प्राप्त है।
इस माह का महत्त्व आप इस बात से ही जान सकते हैं कि कई श्रद्धालु इस महीने गंगा तट पर कुटिया बना कर रहते हैं और रोज़ गंगा स्नान के साथ ध्यान करते हैं।
मौनी अमावस्या से जुड़ी कथा क्या है? (What is a legend related to Mauni Amavasya?)
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के सन्दर्भ में एक पौराणिक कथा भी है। इस कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन की घटना घट रही थी तो मंथन के दौरान धन्वंतरि देव अमृत का कलश लेकर मंथन में से प्रकट हुए।
जब देवताओं और असुरों ने धन्वंतरि देव को अमृत के कलश के साथ देखा तो देवताओं और असुरों में अमृत को पाने के लिए लड़ाई शुरू हो गयी। इसी लड़ाई के बीच जब दोनों पक्षों में खींचा-तानी शुरू हुई तो अमृत की कुछ बूंदें कलश से गिर गयीं।
ऐसा माना जाता है कि यह बूँदें चार स्थानों पर गिरीं थी। यह चार स्थान प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन थे। इसके बाद से यह मान्यता है कि इन जगहों पर नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन मौन व्रत रखने से देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या किस दिन है? (Which day is Mauni Amavasya?)
इस वर्ष मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) 1 फरवरी, 2022 के दिन मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या का दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ माह में आता है। आम तौर पर माघ माह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी और फरवरी महीने के बिच आता है।
माघ माह को हिन्दू धर्म में पुण्य महीनों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन गंगा नदी का जल अमृतमय हो जाता है। इसलिए यह दिन हिन्दू धर्म में गंगा स्नान के लिए महत्त्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है।
बहुत से लोग इस दिन मौन रहकर गंगा में स्नान करते हैं और भगवान शिव और भगवान विष्णु जी की पूजा कर के उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं।
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्त्व क्या है? (What is the religious significance of Mauni Amavasya?)
अब तक तो आप जान ही गए होंगे कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान और महत्त्व है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
यह एक “महाव्रत” है जिसमें कि श्रद्धालु को मौन रह कर तप करना पड़ता है। मौन से मतलब बस मुख से मौन रहने का ही नहीं है बल्कि मनुष्य को मन से भी मौन रहने का प्रयास करना चाहिए।
मन ही है जहाँ पर हर समय विचारों का निरंतर प्रहार चला रहता है। यह मन ही है जो हमें भटकाता है और किसी एक चीज़ पर हमारा ध्यान हमें केंद्रित करने नहीं देता है।
हिन्दू शास्त्रों में मन को अपने अधीन करने के लिए योग का मार्ग बताया गया है। इस प्रकार मौन रहना भी योग का ही हिस्सा है और एक महातप है।
इस दिन पीपल के पेड़ को अर्घ्य (जल) दिया जाता है और पेड़ की परिक्रमा की जाती है और साथ ही पीपल के पेड़ के आगे दिया जलाया जाता है।
सबसे महत्वपूर्ण है गंगा में स्नान। इस दिन श्रद्धालु हिन्दू धर्म में पवित्र मानी गयी नदियाँ जैसे कि गंगा और जमुना में स्नान करके देवी देवताओं के आशीर्वाद की कामना करते हैं। साथ में श्रद्धालु मन को निर्मल और पावन रखने का आशीर्वाद भी मांगते हैं।
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन ज़रूरतमंद को दान ज़रूर करें।
निष्कर्ष
तो इस लेख में हमने मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के बारे में जाना और साथ मौनी अमावस्या से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी सांझा करें।
खुश रहे, स्वस्थ रह…
जय श्री कृष्ण!
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