बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर, ताड़ीपत्री
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर, ताड़ीपत्री
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित मंदिर है। यह खूबसूरत मंदिर पेन्ना नादिर के दक्षिणी तट पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1490 से 1509 के बिच हुआ था।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर का निर्माण पेम्मसानी रामलिंग नायडू – I ने किया था। रामलिंग नायडू विजयनगर शासन काल में गुट्टी – गंदीकोटा क्षेत्र के नायक थे।
मंदिर में शिवलिंग प्रमुख रूप से पूजा जाता है। मान्यता यह है कि शिवलिंग स्वयंभू है यानी कि स्वयं प्रकट हुआ है। यह मंदिर शैव भक्तों में काफी प्रसिद्ध है। पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु यहाँ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं।
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तो इस लेख में हम बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर के बारे में जानेंगे और साथ ही जानेंगे इस मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर भारत के किस राज्य में स्थित है?
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मंदिर अनंतपुर जिले के ताड़ीपत्री में स्थित है। पेन्ना नदी के दक्षिणी तट पर स्थित यह मंदिर बाबा भोले भंडारी के श्रद्धालुओं को अति प्रिय है।
ताड़ीपत्री कुर्नूल और कड़पा जिले की सीमा पर स्थित एक छोटा सा शहर है। ताड़ीपत्री में चिंतला वेंकटरमण मंदिर भी स्थित है जो कि एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। चिंतला वेंकटरमण मंदिर 5 एकड़ में फैला हुआ एक विशाल मंदिर है।
ताड़ीपत्री प्राचीन काल में एक छोटा गाँव हुआ करता था। फिर बाद में पेम्मसानी रामलिंग नायडू – I ने इस जगह को एक नगर का दर्जा दिया और गाँव को विकसित करके इसका नामकरण ताड़ीपत्री कर दिया।
यह विजय नगर शासन काल की बात है जब पेम्मसानी रामलिंग नायडू – I ताड़ीपत्री से अपने क्षेत्र का नियंत्रण करते थे।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर की वास्तुकला शैली कैसी है?
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली द्वारा किया गया है। मंदिर में गर्भगृह, अर्धमंडप और मुखमंडप हैं। मंदिर के मुख्य द्वारों को गोपुरम कहा जाता है।
मंदिर में कई संरचनाएं ऐसी हैं जो रामायण और महाभारत काल के प्रसंगों का व्याख्यान करती हैं। मुख्य देव के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है जिसका अर्थ है यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें शिवलिंग पश्चिम की ओर स्थापित है। बाकी ज़्यादातर मंदिरों में आप पाएंगे कि देवता का मुख पूर्व दिशा की ओर होता है।
मंदिर परिसर में एक भगवान श्री विष्णु मंदिर भी है जिसके समुख सात स्तम्भ हैं। इन स्तम्भों से जुड़ी एक अत्यंत रोचक बात यह है कि जब भी इन स्तम्भों पर प्रहार किया जाता है तो यह स्तम्भ “सप्तस्वर” उत्पन्न करते हैं। “सप्तस्वर” संगीत से जुड़ी ध्वनियाँ हैं। यह “सप्तस्वर” इस प्रकार हैं – सा, रे, गा, मा, पा, धा, नि।
मंदिर परिसर में अन्य देवी देवताओं जैसे कि वीरभद्र स्वामी, श्री राम, पार्वती देवी और चंडी माँ के उपमंदिर भी स्थापित हैं।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर का धार्मिक महत्त्व क्या है?
भगवान शिव को “देवों के देव – महादेव” भी कहा जाता है इसलिए बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर शैव भक्तों में अति लोकप्रिय मंदिर है। पूरे भारतवर्ष से हिन्दू श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान शिव जी का दर्शन करने के लिए हर वर्ष आते हैं।
भगवान के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु अपने मन को शांत और पवित्र पाते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व होने के साथ साथ इस मंदिर का प्राचीन महत्त्व भी है क्यूंकि इस मंदिर का निर्माण सन 1490 और 1509 के बिच हुआ था।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में दर्शन का समय क्या है?
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में भगवान शिव जी के दर्शन का समय सुबह लगभग 6:00 से शाम लगभग 8:00 तक होता है। इसलिए अपने समयनुसार आप भगवान के दर्शन करने जा सकते हैं।
बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?
ताड़ीपत्री में रेलवे स्टेशन है इसलिए आप आसानी से रेल मार्ग से होकर यहाँ पहुँच सकते हैं। ताड़ीपत्री अनंतपुर जिला मुख्यालय से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप आसानी से सड़क या रेल मार्ग से होकर ताड़ीपत्री पहुँच सकते हैं।
ताड़ीपत्री और तिरुपति में लगभग 250 किलोमीटर का फासला है। अगर आप भारत के किसी कोने से मंदिर में भगवान शिव जी के दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो आप हवाई मार्ग या रेल मार्ग से तिरुपति आ सकते हैं। तिरुपति में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों हैं।
तिरुपति से आप रेल मार्ग की सहायता से ताड़ीपत्री पहुँच सकते हैं। ताड़ीपत्री से बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
निष्कर्ष
तो इस लेख में हमने बुग्गा रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर के बारे में जाना और साथ ही मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी सांझा करें।
खुश रहे, स्वस्थ रह…
जय श्री कृष्ण!
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