Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) Lyrics In Sanskrit

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Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) Lyrics In Sanskrit

Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) भगवान वेंकटेश्वर या बालाजी की पूजा के लिए समर्पित एक भजन है। भगवान वेंकटेश्वर, जिन्हें कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, हिंदू भगवान विष्णु का एक रूप है। वेंकटेश्वर भारत के आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के पीठासीन देवता हैं।

Benefits of Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र के लाभ)

हिंदू धर्म के अनुसार Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) का नियमित पाठ करना भगवान वेंकटेश को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली तरीका है।

सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद और भगवान वेंकटेश Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) का पाठ करना चाहिए।

Sri Venkateshwar Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र) का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर होती है और आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं।

Sri Venkatesh Stotra (श्री वेंकटेश्वर स्तोत्र)

कमला कुचचूचुक कुङ्कुमतो
नियतारुणितातुलनीलतनो ।
कमलायतलोचन लोकपते
विजयीभव वेङ्कटशैलपते ॥ 1 ॥

सचतुर्मुखषण्मुखपञ्चमुख
प्रमुखाखिलदैवतमौलिमणे ।
शरणागतवत्सल सारनिधे
परिपालय मां वृषशैलपते ॥ 2 ॥

अतिवेलतया तव दुर्विषहै-
-रनुवेलकृतैरपराधशतैः ।
भरितं त्वरितं वृषशैलपते
परया कृपया परिपाहि हरे ॥ 3 ॥

अधिवेङ्कटशैलमुदारमते-
-र्जनताभिमताधिकदानरतात् ।
परदेवतया गदितान्निगमैः
कमलादयितान्न परं कलये ॥ 4 ॥

कलवेणुरवावशगोपवधू-
-शतकोटिवृतात्स्मरकोटिसमात् ।
प्रतिवल्लविकाभिमतात्सुखदात्
वसुदेवसुतान्न परं कलये ॥ 5 ॥

अभिरामगुणाकर दाशरथे
जगदेकधनुर्धर धीरमते ।
रघुनायक राम रमेश विभो
वरदो भव देव दयाजलधे ॥ 6 ॥

अवनीतनया कमनीयकरं
रजनीकरचारुमुखाम्बुरुहम् ।
रजनीचरराजतमोमिहिरं
महनीयमहं रघुराममये ॥ 7 ॥

सुमुखं सुहृदं सुलभं सुखदं
स्वनुजं च सुकायममोघशरम् ।
अपहाय रघूद्वहमन्यमहं
न कथञ्चन कञ्चन जातु भजे ॥ 8 ॥

विना वेङ्कटेशं न नाथो न नाथः
सदा वेङ्कटेशं स्मरामि स्मरामि ।
हरे वेङ्कटेश प्रसीद प्रसीद
प्रियं वेङ्कटेश प्रयच्छ प्रयच्छ ॥ 9 ॥

अहं दूरतस्ते पदाम्भोजयुग्म-
-प्रणामेच्छयाऽऽगत्य सेवां करोमि ।
सकृत्सेवया नित्यसेवाफलं त्वं
प्रयच्छ प्रयच्छ प्रभो वेङ्कटेश ॥ 10 ॥

अज्ञानिना मया दोषानशेषान्विहितान् हरे ।
क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं शेषशैलशिखामणे ॥ 11 ॥

इति श्री वेङ्कटेश स्तोत्र ।

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Original link: One Hindu Dharma

CC BY-NC-ND 2.0 授权

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